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हिंदी भाषा का इतिहास
हिंदी भाषा की उत्पत्ति को जानने के लिए हमको प्राचीन इतिहास उठाना पड़ेगा। प्राचीन कल में 1500 ईसा पूर्व से लेकर 600 ईसा पूर्व तक हमारे देश में पूर्ण दस्तावेज और लेख संस्कृत में लिखे जाते थे। धीरे धीरे यह परिवर्तित हुआ और ईसा पूर्व से बौद्ध धर्म के आने के बाद दस्तावेजो में पाली भाषा में लिखे जाने लगे फिर 600 ईसा पूर्व के बाद जैन धर्म के आने के बाद ये लेख प्रकृत भाषा का प्रयोग होने लगा फिर इन दोनों पाली और प्रकृत भाषा से मिलकर अपभ्रश भाषा की उत्पत्ति हुई। फिर इसका विकाश अवहठ भाषा के रूप में हुआ, और इसका परिवर्तन खड़ी बोली का रूप लिया ,फिर हिंदी भाषा का विकाश यही से हुआ। इसका विकाश उस समय से आज भी चल रहा है।
क्यों बनाया हिंदी को राजभाषा ?
भारत में मुगल काल के समय फारसी बोली जाती थी परंतु अंग्रेजों के आने के बाद हमारे यहां चार्टर एक्ट एक्ट के तहत अंग्रेजी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया परंतु 1947 में भारत के आजाद होने के बाद हिंदी भाषा को 14 सितम्बर 1949 को संबिधान में भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1)राजभाषा का दर्जा दिया गयाऔर इसकी लिपि देवनागरी होगी परंतु हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला क्योंकि हमारे यहां की गैर हिंदी भाषी लोग हिंदी की राष्ट्रभाषा बनने पर विरोध जताया परंतु उस समय संविधान निर्माताओं ने यह निर्णय लिया की 15 साल बाद हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया जाएगा तब तक यह विद्रोह शांत हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ 14 सितंबर 1965 को वह दिन आया जब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना था परंतु फिर से वहीं गैर हिंदी भाषी लोग विद्रोह करने लगे जिसके कारण हिंदी के राष्ट्रभाषा बनाने के प्रस्ताव को 15 साल के लिए फिर से टाल दिया गया। यह प्रस्ताव आज भी पूरा नहीं हुआ है।
क्यों मनाया जाता है 14 सितंबर को हिंदी दिवस
हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए व्यौहार राजेंद्र सिंह जी ने अथक प्रयास किये थे इनका जन्म 14 सितम्बर 1900 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था। विश्व में हिंदी को बोलने वालों की संख्या तीसरे नंबर पर आती है हिंदी भाषा भारत के अलावा बहुत से देशों में बोली जाती है जैसे पाकिस्तान, नेपाल ,मॉरीशस, फिजी ,गुयाना और सूरीनाम आदि। पहले पर चीनी भाषा दूसरे पर अंग्रेजी तीसरी पर हिंदी परंतु आज के समय विलुप्त होने की कगार पर है हर वर्ष हिंदी को बचाने के लिए 1953 प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है वर्ष में 1 सप्ताह को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि इस सप्ताह में हिंदी को बढ़ावा दिया जा सके।
हिंदी दिवस का उद्देश्य
वर्ष में 1 दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है 1 दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है इसके अलावा जो वर्ष भर में हिंदी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिंदी का अच्छी तरह से उपयोग करता है उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।
हिंदी भाषा का महत्व
आज भारत भाषा हिंदी भविष्य में विश्व वाणी बनने के पथ पर अग्रसर है विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा अधिक अवसरों पर अमेरिकियों को हिंदी सीखने के लिए सचेत कर चुके हैं इन हिंदी बिना भविष्य में काम नहीं चलेगा सलाह अकारण ही नहीं है भारत को उभरती हुई विश्व शक्ति के रूप विश्व में जाना जा रहा है संस्कृत तथा उस पर आधारित हिंदी को ध्वनि विज्ञान और दूरसंचार तरंगों के माध्यम से अंतरिक्ष में अन्य सभ्यताओं को संदेश भेजने की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया है।
हिंदी के बारे में दिलचस्प तथ्य –
1. हिंदी जैसी बोली जाती है वैसे ही लिखी जाती है।
2. हिंदी में हर संज्ञा का अपना लिंग होता है उसी के हिसाब से विश्लेषणऔर क्रिया के रूप में भी बदल जाते हैं।
3. भारत में सबसे पहेली बिहार हिंदी को राजकाज की भाषा के रूप में अपनाया गया।
4. भारत के अलावा मॉरीशस, नेपाल ,पाकिस्तान, बांग्लादेश, युगांडा, हिंदी उसके रूप प्रमुख भाषाओं में से एक है।
5. दुनिया की 176 में विश्वविद्यालय में हिंदी 1 विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है लोकप्रिय पा ता को देखते हुए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
6. फिजी में हिंदी को आधिकारिक रूप से भाषा का दर्जा दिया गया है इसे सीजीएल फिजियन हिंदी या फिजियन हिंदुस्तानी भी कहते हैं यह भारत में बोली जाने वाली अवधि भोजपुरी और अन्य मूल्यों का समावेश है।
7 हिंदी दुनिया की उन 7 भाषाओं में से है जिसमें बेव एड्रेस( वेबसाइट का पता )बनाया जा सकता है भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र हिंदी में बनी थी।
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