कंप्यूटर के क्षेत्र में लगातार नए – नए आयाम ,तकनीकी प्रगति के साथ जुड़ते जा रहे हैं पहले सिर्फ एक ही कंप्यूटर जो कि आपके सामने उपलब्ध हो , पर कार्य किया जा सकता था। फिर एक ही स्थान पर उपलब्ध कुछ कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर लोकल एरिया नेटवर्क बनाया गया , जिससे कि उपयोगकर्ता इन सभी कंप्यूटरों पर उपलब्ध सूचना को किसी भी एक कंप्यूटर पर कार्य करते हुए प्राप्त कर सकता है। तकनीकी प्रगति के साथ-साथ दूरस्थ स्थित कंप्यूटरों को जोड़कर वाइड एरिया नेटवर्क का निर्माण भी संभव हो गया। विश्व भर में स्थित अलग-अलग कंप्यूटरों , लोकल एरिया नेटवर्को तथा वाइड एरिया नेटवर्को को आपस में जोड़ने वाला तंत्र इंटरनेट कहलाता है। सामान भाषा में इंटरनेट को नेटवर्क ऑफ नेटवर्कस् कहा जाता है।
इंटरनेट को हर उपयोगकर्ता अपनी दृष्टि से अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करते हैं जैसे कि कुछ इसे –
- फाइबर ऑप्टिक , टेलीफोन लाइन या उपग्रह माध्यम से आपस में जुड़े कंप्यूटरों का समूह कहते हैं।
- कंप्यूटर उपयोग द्वारा विश्व भर में संदेश व सूचना का आदान – प्रदान का साधन कहते हैं।
- किसी समस्या के निदान या आवश्यकता पड़ने पर विश्व भर में सहायता प्राप्त करने का साधन कहते हैं।
- सूचना या जानकारी की प्रथम गति से दृष्ट भर में वितरित करने का साधन कहते हैं।
- भविष्य की तकनीक , जिसके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव होगी।
- तो वहीं कुछ ऐसे समय काटने या समय व्यर्थ करने का साधन भी मानते हैं।
इंटरनेट के संदर्भ में उपरोक्त समस्त सत्य है , लेकिन इनमें से कोई भी पूर्ण नहीं है। आज इंटरनेट का परिदृश्य पूरी तरह से परिवर्तित हो चुका है। इंटरनेट को विज्ञान की प्रगति की सर्वोत्तम मिसाल माना जा रहा है। इंटरनेट की सही परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है
” इंटरनेट एक विश्वव्यापी प्रसारण क्षमता युक्त कंप्यूटर पर संग्रहित सूचना वितरित करने तथा विभिन्न कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के मध्य सहयोग व संपर्क का माध्यम है जिसमें कि बिना किसी धर्म , देश के भेदभाव के सूचना आदान-प्रदान करना संभव है “
{“Internet is a means of distributing information stored on a computer with a worldwide broadcast capability and a means of cooperation and communication between different computer users, in which it is possible to exchange information without discrimination of any religion, country.”}
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इंटरनेट का इतिहास –
इंटरनेट की परिकल्पना किस प्रकार हुई और यह कैसे अपने वर्तमान स्वरूप में पहुंचा है , यह एक बड़ा स्वाभाविक सा प्रश्न है जो कि प्रत्येक इंटरनेट उपयोगकर्ता के मस्तिष्क में उभरता है। इंटरनेट मूलता सैन्य गतिविधियों का परिणाम है। बात कुछ उस समय की है जबकि रूस व अमेरिका के मध्य शीत युद्ध जारी था , दोनों देशों में अनेक परमाणु हथियार विकसित कर लिए थे। उस समय अमेरिका के रैंड कॉरपोरेशन , जो कि अमेरिकी सेना का प्रमुख सलाहकार संगठन था , ने एक ऐसे कंप्यूटर संचार नेटवर्क की परिकल्पना की ,जो कि परमाणु हमले के बाद भी कार्य कर सकें , तथा एक कंप्यूटर संचार मार्ग भंग होने पर अन्य कंप्यूटर संचार मार्ग का प्रयोग करते हुए संचार व्यवस्था स्वात: ही जारी रख सके।
इससे पूर्व कंप्यूटरों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता था अर्थात यदि एक कंप्यूटर खराब हो गया तो आगे संचार भंग हो जाता था।, इसे Point To Point प्रकार का नेटवर्क कहा जाता था , लेकिन इंटरनेट की परिकल्पना में कंप्यूटरों को मछली पकड़ने वाले जाल की तरह जोड़ा जाना था। तथा डाटा को पैकेटो में विभक्त कर प्रेषित किया जाना था , प्रत्येक डाटा पैकेट के साथ गंतव्य स्थान के कंप्यूटर का पता भी संलग्न होना था , जिससे कि पैकेट जो भी मार्ग उपलब्ध हो उसका उपयोग करते हुए गंतव्य स्थान तक पहुंच जाए।
इंटरनेट विकास यात्रा –
इंटरनेट का विकास एक बहुत रोमांचक यात्रा है जो 1960 के दशक में शुरू हुई थी। इसकी शुरुआत अमेरिकी सेना द्वारा की गई थी, जब वे नेटवर्क के माध्यम से सुरक्षा और संचार स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद, विभिन्न विज्ञान विद्यार्थियों, अकादमिकों, और शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का विस्तार किया और इसे आधुनिक इंटरनेट बनाने के लिए उपयोग किया।
इस यात्रा के दौरान कई विभिन्न तकनीकी परिवर्तन हुए हैं, जिसमें नेटवर्क प्रोटोकॉल, आईपी एड्रेसिंग, और वेब संरचना शामिल हैं। इंटरनेट का आविष्कार और उसके विकास का एक बड़ा कारण है कंप्यूटर संगठनों और वैज्ञानिकों के एक समूह का प्रयास था ।
1962 से 1969 : यही वह काल था जिसमें की इंटरनेट की परिकल्पना की गई तथा इंटरनेट कार्ड की परिकल्पना से निकलकर एक छोटे से नेटवर्क के रूप में सामने आया।
1962 – पॉल बैरन , रैंड कॉरपोरेशन ने पैकेट स्विच तकनीक पर आधारित कंप्यूटर नेटवर्क की परिकल्पना की।
1967 – एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (ARPA) ने , जो कि एक सैन्य संगठन था , ने ARPANET बनाने के संबंध में विचार विमर्श आरंभ किया।
1969 – ARPANET का निर्माण किया गया जिसके अंतर्गत अमेरिका के 4 संस्थानों स्टैनफोर्ड रिसर्च संस्थान UCLA ,UC,SANTA ,BARBARA तथा उटा (UTAH) विश्वविद्यालयों में स्थित एक – एक कंप्यूटर को जोड़कर 4 कम्प्यूटरों को नेटवर्क बनाया गया।
1970 से 1973 : ARPANET परियोजना को आरंभ से ही सफलताएं मिलती है वैसे तो इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों के मध्य डाटा आदान-प्रदान वार रिमोट कंप्यूटर था लेकिन E – MAIL सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला माध्यम बन गई।
1971 – ARPANET से अब 23 कंप्यूटर जुड़ गए थे यह कंप्यूटर अमेरिका के विश्वविद्यालयों व विचार से संस्थानों में स्थापित थे।
1972 – इंटरनेट वर्किंग ग्रुप(INWG) बढ़ते नेटवर्क के लिए मानक(STANDARD) बनाने के लिए बनाया गया इसका प्रथम अध्यक्ष विंटन सर्फ (VINTON CERF) को बनाया गया जिन्हें कि आगे जाकर इंटरनेट का पितामह (FATHER OF INTERNET) कहा गया।
1973 – अमेरिका से बाहर लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज तथा नॉर्वे स्थित रॉयल रडार संस्थान के कंप्यूटर ARPANET से जोड़े गए।
1974 से 1981 –ARPANET सैन्य रिसर्च से बाहर आया तथा सामान्य लोगों को इसी अवधि में यह पता लगा कि कंप्यूटर नेटवर्क का काम जीवन में किस प्रकार का उपयोग संभव है।
1982 से 1987 – इसी अवधि में इंटरनेट शब्द का प्रयोग ARPANET के स्थान पर हुआ तथा बॉबकॉन तथा विंटन सर्फ ने अपने इंटरनेट से जुड़े समस्त कंप्यूटरों के लिए एक समान प्रोटोकॉल का विकास किया , जिससे कंप्यूटर सरलता से सूचना का आदान प्रदान कर सकें। लगभग इसी समय पर्सनल कंप्यूटर व अन्य सबसे कंप्यूटरों का विकास हुआ जिसके फलस्वरूप इंटरनेट का अधिक तेजी से विकास हुआ।
1988 से 1990 – इस अवधि में एक संचार माध्यम के रूप में इंटरनेट को माना जाने लगा। साथ ही सूचना के सुरक्षित आदान-प्रदान व कंप्यूटर सुरक्षा पर भी उपयोगकर्ताओं ने ध्यान देना आरंभ किया। क्योंकि इसी अवधि में एक कंप्यूटर प्रोग्राम “INTERNET WORM” ने इंटरनेट से जुड़े लगभग 6000 कंप्यूटरों को अस्थाई रूप से अनुउपयोगी बना दिया था।
1991 से 1993 – यह वही अवधि थी जिसमें की इंटरनेट ने सर्वाधिक ऊंचाइयों को छुआ इंटरनेट का वाणिज्यिक उपयोग काफी बढ़ गया।
1994 से 1998 – लगभग 40 मिलीयन उपयोगकर्ता , इंटरनेट से जुड़ गए तथा इंटरनेट युग का सूत्रपात इसी अवधि में हुआ। इसी अवधि में इंटरनेट शॉपिंग का आरंभ हुआ। विज्ञापन दाताओं में इंटरनेट पर विज्ञापन देने आरंभ किए तथा प्रोग्रामिंग भाषा JAVA का विकास हुआ।
इस समय इंटरनेट का उपयोग सिर्फ अमीर लोगों द्वारा किया जाता था। हालांकि, इस समय इंटरनेट का उपयोग आम लोगों द्वारा भी होने लगा था।
1994 में, टिम बर्नर्स-ली ने वर्ल्ड वाइड वेब को बनाने के लिए HTML, HTTP और यूआरएल जैसी तकनीकों का उपयोग किया था। इससे पहले वेब का उपयोग सीधे टेक्स्ट के रूप में होता था जो लोगों को सीधे इंटरनेट से जुड़े डेटा तक पहुंचने की अनुमति नहीं देता था। टिम बर्नर्स-ली ने वेब को स्थायी रूप से बदल दिया और एक उपयोगकर्ता अनुकूल वेब बनाने में मदद की।
1994 में, यूएस नेवी से जुड़े कुछ इंजीनियरों ने नेटस्केप नाम के एक सॉफ्टवेयर को विकसित किया जो इंटरनेट पर संदेश भेजने और प्राप्त करने की अनुमति देता था। इसके बाद नेटस्केप बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ और यह एक महत्वपूर्ण ईमेल समाधान बन गया।
1999 से 2002 – इस अवधि में इंटरनेट का विकास अधिक मुश्किल था। यह उन वर्षों में हुए एक बड़े आर्थिक असंतुलन के कारण था। अधिकांश डॉट-कॉम कंपनियों ने उन दिनों अधिक निवेश किए थे और जब आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, तो यह कंपनियां बंद होने लगीं।
2000 में, डॉट-कॉम बबल नाम का एक आर्थिक विपरीत परिस्थिति आई जिसके चलते बहुत सारी ई-कॉमर्स कंपनियों को बंद करना पड़ा। इससे इंटरनेट सेक्टर में बहुत से लोगों की नौकरियां चली गईं।
हालांकि, इस दौरान भी कुछ नए तकनीकी उन्मुखी उत्पाद उत्पन्न हुए जो इंटरनेट सेवाओं के लिए उपयोगी थे। उदाहरण के लिए, 1999 में, गूगल नाम का एक खोज इंजन विकसित किया गया था, जो अन्य खोज इंजनों से बेहतर था।
2002 में, ब्रॉडबैंड इंटरनेट नेटवर्क के विकास में बढ़ोतरी देखी गई। इससे उपयोगकर्ताओं को अधिक गति और नेटवर्क उपयोग करने की अधिक सुविधा मिली।
वर्तमान में –
र्तमान में इंटरनेट का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है जो कि तकनीकी विकास, सोशल मीडिया, और उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं और अनुकूलताओं के अनुसार बदलता रहता है।
इंटरनेट का विकास सामाजिक मीडिया के साथ अधिक अवलोकनीय और विश्वसनीय बनाने के लिए एक अहम रूप से बढ़ा है। आजकल, सोशल मीडिया वेबसाइटों और एप्लिकेशनों के रूप में विकसित हुए हैं जो उपयोगकर्ताओं को अन्य उपयोगकर्ताओं से अपनी जानकारी और विचारों को साझा करने की सुविधा देते हैं।
वर्तमान में इंटरनेट के विकास के अन्य महत्वपूर्ण एल्गोरिथ्म, वेब डिजाइन, वेब विकास, ईकॉमर्स और ऑनलाइन विपणन शामिल हैं। इन सभी क्षेत्रों में नए और उन्नत तकनीकी समाधान विकसित किए जाते हैं जो उपयोगकर्ताओं को अधिक अनुकूलता और सुविधाएं प्रदान करते हैं।
इंटरनेट कैसे कार्य करता है –
उपरोक्त प्रश्न यदि किसी सामान्य भारतीय व्यक्ति से पूछा जाए तो हो सकता है वह इसका उत्तर कुछ इस प्रकार से दे
” इंटरनेट एक विश्व भर के जुड़े कंप्यूटरों का नेटवर्क है, जिसका की संचालन एक केंद्रीय संस्था इंटरनेट द्वारा किया जाता है यही संस्था समस्त उपयोगकर्ताओं से फीस प्राप्त करती है तथा यदि हम अपनी कुछ जानकारी इस पर प्रेषित करना चाहते हैं तो हमें इसी संस्था से मदद लेनी होगी “ लेकिन यह उत्तर पूरी तरह गलत है
लेकिन इस उत्तर के लिए हमारी व्यवस्था जिम्मेदार है क्योंकि हम एक केंद्रीकृत व्यवस्था में रहने के आदि हो चुके है। हमारे यहाँ हर चीज केंद्रीकृत है। इसलिए जब भी हम किसी विश्व व्यापी या अत्यंत बड़ी प्रणाली की कल्पना करते है तो यह स्वत: ही मान लेते है कि इसके लिए तो एक उच्चाधिकार प्राप्त केंद्रीय समिति होगी ,जो कि इसका संचालन व नियंत्रण करेगी।
परंतु इंटरनेट के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है , यहां कोई भी नियंत्रणकारी केंद्रीय समिति नहीं है और ना ही कोई केंद्रीय कंप्यूटर है इंटरनेट पर उपलब्ध समस्त सामग्री मूलतः सर्वर कहे जाने वाले कंप्यूटरों जो कि किसी भी संस्थान या कंपनियों के होते हैं उन पर संग्रहित रहती है यह सभी सर्वर आपस में तार , टेलीफ़ोन या उपग्रह द्वारा आपस में डाटा आदान प्रदान करने हेतु जुड़े रहते हैं।
इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह समझने के लिए टेलीफोन प्रणाली का उदाहरण लेते हैं जिस प्रकार से इंटरकॉम का प्रयोग संस्थान के भीतर आसानी से दो या 3 अंकों का नंबर डालकर किया जाता है इसमें किसी भी टेलिफोन एक्सचेंज की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन यदि इंटरकॉम टेलिफोन एक्सचेंज से जुड़ा हुआ है तो कही भी स्थित दूसरे टेलीफोन पर बात की जा सकती है ऐसा इसलिए संभव होता है क्योंकि जैसे ही टेलीफोन से नंबर डायल किया जाता है वह नजदीकी टेलिफोन एक्सचेंज पहुंचता है तथा वहां से डायल किए गए नंबर के आधार पर अन्य वांछित टेलिफोन एक्सचेंज पर पहुंचता है और फिर वहां से डायल किए गए टेलीफोन पर पहुंच जाता है।
इंटरनेट पर भी वांछित कंप्यूटर , जिसमें की सूचना प्राप्त करनी है या जिस पर सूचना प्रेषित करनी है या जिस पर सूचना प्रेषित करनी होती है कुछ इसी तरह ही पहुंचा जाता है जैसे ही हम कोई संदेश इंटरनेट पर प्रेषित करना या प्राप्त करना चाहते हैं वह सूचना सर्वप्रथम कंप्यूटर के सबसे नजदीकी सर्वर तक पहुंचती है इस सर्वर के साथ उपलब्ध राउटर (ROUTER) इसे इंटरनेट पते के आधार पर उस पते के नजदीकी सर्वर को प्रेषित करता है यहां पर उपलब्ध राउटर पुनः उसे और नजदीकी सर्वर को प्रेषित कर देता है यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक की सूचना वांछित कंप्यूटर तक नहीं पहुंच जाती है यहां एक बात और ध्यान देने की है कि यहां सूचना का आदान प्रदान पैकेटो (कुछ बाइटो का समूह) के रूप में होता है अर्थात सूचना पैकेटो में विभक्त हो जाती है फिर सर्वर – सर्वर होती हुई सही स्थान पर पहुंच जाती है यहां यह कतई आवश्यक नहीं है कि सभी पैकेट एक ही मार्ग से होते हुए वांछित स्थान पर पहुंचे। वे जो भी खाली मार्ग उपलब्ध होता है उसी का उपयोग करते हुए वांछित स्थान तक पहुंच जाते हैं।
मान लीजिए कि हमें एक संदेश भोपाल से ORACLE कॉरपोरेशन को USA में भेजना है। जैसे ही हम संदेश को इंटरनेट पर ,VSNL (विदेश संचार निगम लिमिटेड) सर्वर को भेजेंगे , वह यहां पैकटों में विभक्त हो जाएगा। ये पैकेट VSNL मुंबई स्थित सर्वर पर लगे राउटर द्वारा अमेरिका में MCI में स्थित सर्वर पर पहुंच जाते हैं यहां यह भी हो सकता है कि इस संदेश के कुछ पैकेट VSNL के मद्रास स्थित सर्वर के राउटर से होते हुए पहुंचे।
MCI पर स्थित सर्वर संदेश पैकटों को ORACLE स्थित सर्वर पर भेज दी जायगी ,इस तरह भेजा गया सन्देश वांछित कंप्यूटर पर पहुंच जाएगा। यहां आपके मन में प्रश्न उठ सकता है कि संदेस VSNL से MCI क्यों जाता है दरअसल VSNL भारत में इंटरनेट सुबिधा प्रदान करने लिए अधिकृत है और MCI , इंटरनेट तक सूचना पहुंचाने वाले VSNL का सर्वाधिक नज़दीकी सर्वर है जो की VSNL से जुड़ा हुआ है।
इंटरनेट से अलग-अलग प्रकार के कंप्यूटर जुड़े हुए हैं लेकिन यह सभी आपस में सूचना का आदान – प्रदान सफलतापूर्वक कर सकें, इसलिए यह सभी एक नियम , जिसे किTCP/IP कहते हैं का पालन करते हुए संदेश भेजते हैं।
इंटरनेट पर हक़ –
इंटरनेट एक व्यापक नेटवर्क है जिसमें लाखों कंप्यूटर, सर्वर, राउटर, स्विच आदि शामिल होते हैं। इस नेटवर्क का कोई एक व्यक्ति या संस्था को स्वामित्व नहीं होता है। यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होता है और यह उन सभी लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है जिनके पास इंटरनेट कनेक्शन होता है।
इसलिए, इंटरनेट किसी व्यक्ति या संस्था का स्वामित्व नहीं होता है। हालांकि, इंटरनेट को नियंत्रित करने वाली संस्थाएं होती हैं, जैसे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP), डोमेन रजिस्ट्रार, वेब होस्टिंग कंपनियां आदि। इन संस्थाओं का काम इंटरनेट सेवाओं को प्रदान करना होता है और वे अपने नियमों और विनियमों के अनुसार इंटरनेट का उपयोग करने वालों को निर्देशित करती हैं।
इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाये –
इंटरनेट एक बहुत बड़ा और व्यापक नेटवर्क है जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है। इंटरनेट पर कई सुविधाएं हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान और सुविधाजनक बनाते हैं। निम्नलिखित लेख में कुछ सुविधाएं बताई गई हैं जो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं:
- ईमेल: इंटरनेट पर ईमेल के जरिए हम अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और संगठनों के साथ संवाद कर सकते हैं। इसके लिए हमें कोई खास सॉफ्टवेयर या ऐप इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती है।
- सोशल मीडिया: इंटरनेट पर सोशल मीडिया के जरिए हम अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों से जुड़ सकते हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग: इंटरनेट पर ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए हम घर बैठे ही अलग-अलग वस्तुओं को खरीद सकते हैं।
- न्यूज़ और मीडिया: इंटरनेट पर न्यूज़ और मीडिया के जरिए हम दुनिया भर में घटित घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्तकर सकते है।
- रिमोट लॉगिन : दुनिया के किसी भी हिस्से में स्थित कप्यूटर पर कार्य करने की (TELNET) सुविधा।
इंटरनेट का अकार –
इंटरनेट का कोई अकार नहीं होता है क्योंकि यह एक विशाल व्यापक नेटवर्क है जो दुनियाभर में फैला हुआ है। इसके रूप में, इंटरनेट एक आधुनिक तकनीकी प्रगति है जो संचार को आसान बनाती है और संसाधनों के विनिमय को सुगम बनाती है।
इंटरनेट का मूल अविरामी नेटवर्क बनाया गया था, जो कि कई कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ता था ताकि उनके बीच संचार किया जा सके। इसके बाद से, इंटरनेट के विभिन्न तकनीकी पहलुओं ने इसे विस्तारित किया है जैसे कि ईमेल, वेबसाइट, सोशल मीडिया, वीडियो संचार, ऑनलाइन खरीदारी और बैंकिंग आदि।
इंटरनेट का कोई एक शारीरिक रूप नहीं है, यह एक नेटवर्क है जो विभिन्न तकनीकों, सर्वरों और डेटा सेंटरों से मिलकर बनता है। इसके लिए, इंटरनेट का कोई अकार नहीं होता है।
यहां दो और बातें ध्यान में रखने योग्य हैं –
- किसी भी समय विशेष पर इंटरनेट से जुड़े समस्त कम्प्यूटरो का लगभग 1% ही वास्तव में इंटरनेट का उपयोग कर रहा होता है।
- एक अनुमान के अनुसार इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर से औसतन 10 उपयोगकर्ता , इंटरनेट सविधा का उपयोग करते हैं इस तरह से इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 100 मिलियन हैं।
इंटरनेट से जुड़ने वाले कंप्यूटरों की दिनांक वार अनुमानित संख्या –
इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों की दिनांक वार अनुमानित संख्या दुनिया भर में लगभग 30 बिलियन हो सकती है। हालांकि, इस अंक का सटीक ज्ञात नहीं है, क्योंकि इंटरनेट पर नए कंप्यूटर और संबंधित डिवाइस रोज जुड़ते रहते हैं। इसके अलावा, जितने भी कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ते हैं, उनमें से कुछ ऑनलाइन नहीं होते हैं और वे फिर से इंटरनेट से अलग हो जाते हैं।
इंट्रानेट (intranet) –
एक इंट्रानेट एक प्राइवेट नेटवर्क है जो किसी कंपनी, संगठन या संस्था के आंतरिक उपयोग के लिए बनाया जाता है। इसे संगठन के कर्मचारियों को इंट्रानेट के माध्यम से संचार करने की अनुमति देने के लिए बनाया जाता है। इस प्रकार का नेटवर्क अतिरिक्त सुरक्षितता उपलब्ध कराने के लिए अक्सर फायरवॉल द्वारा संरक्षित होता है।
इंट्रानेट की तुलना में, इंट्रानेट एक छोटा नेटवर्क होता है जो केवल संगठन के कर्मचारियों द्वारा उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग संगठन द्वारा अपने सभी कामकाज, दस्तावेज़, संचार और अन्य साझा संसाधनों को संगठित ढंग से प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार का नेटवर्क संगठन के आंतरिक संचार को आसान बनाता है, साझा संसाधनों का उपयोग करता है और संगठन की दृष्टि को एकीकृत करता है।
इंटरनेट क्या है ? (WHAT IS INTERNET) जुड़े FAQ
एक विश्वव्यापी संचार नेटवर्क
1969
संचार / विभिन्न विषयों पर जानकारी खोजने के लिए / ईमेल
Interconnected Network
TCP/IP
1960
टिम बर्नर्स ली
जानकारी और संचार का एक सुदृढ़ नेटवर्क
रे टॉम्लिनसन
यूरोप
1991
नेटवर्क
नेटवर्क के माध्यम से डेटा को भेजता है
डी – टिम बर्नर्स-ली और विंट सर्फ
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन
एक सॉफ्टवेयर जो इंटरनेट पर सामग्री ढूंढने के लिए उपयोग किया जाता है।
इंट्रानेट का उपयोग केवल एक संगठन के अंतर्गत करना होता है
संगठन के अंतर्गत जानकारी का संचार करना
TCP/IP
इस प्रकार इस लेख में आपने इंटरनेट से इंट्रानेट तक की विकास यात्रा व इंटरनेट के सबंध में मूल जानकारी प्राप्त कर ली। अगर ये लेख आपको पसंद आया , तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।