श्रमबल में गिरावट अमेरिका की विकास क्षमता को पांचवें हिस्से से भी ज़्यादा कम कर देगी। फिर भी, इस जोखिम के प्रति प्रतिक्रिया धीरे-धीरे कमज़ोर होती जा रही है। कारण, AI से वैसे भी मानव श्रम की ज़रूरत घट जाएगी।
हाल ही में जापान, फ्रांस और ब्रिटेन सहित उन देशों को कड़ी टक्कर दी है, जिनका घाटा अमेरिका से काफी कम है। इन सभी देशों में सरकारी बॉन्ड की बिकवाली देखी गई है। इनमें से अकेले अमेरिका में ही इस साल 10 साल के सरकारी बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखी गई है। AI को इतने सारे विभिन्न खतरों के उपाय के लिए एक जादू की छड़ी के रूप में देखे जाने का मुख्य कारण यह है कि इससे उत्पादकता में वृद्धि को उल्लेखनीय बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
प्रति कर्मचारी अधिक उत्पादन (GDP) देगा और कर्ज़ के बोझ को कम करेगा। इससे श्रम की मांग घटेगी। और यह कंपनियों को कीमतें बढ़ाए बिना बेहतरीन बनाने में सक्षम बनाकर टैरिफ के खतरे सहित मुद्रास्फीति (Inflation) के जोखिमों को कम करेगा। हाल के वर्षों में अमेरिका में उत्पादकता शेष विकसित दुनिया की तुलना में तेज़ी से बढ़ी है। उत्पादकता के चमत्कार की सम्भावना ने घरेलू और विदेशी निवेशकों के इस विश्वास को और मजबूत कर दिया है कि यह अंतर और बढ़ेगा।
वे आश्वस्त हैं कि अमेरिका AI इनोवेशन, बुनियादी शोध और एडॉप्शन में ऐसी अग्रणी स्थिति बना रहा है, जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। इस नैरेटिव में एक असंगत डॉलर की है। लेकिन कुछ विश्लेषक इसको हालिया गिरावट को विदेशी निवेशकों द्वारा अत्यधिक महंगी मुद्रा में निवेश के बाद अपने निवेश को अधिक सामान्य स्तरों पर सुरक्षित रखने का परिणाम बताते हैं।
विदेशियों ने दूसरी तिमाही में अमेरिकी शेयरों में ₹290 अरब डॉलर का निवेश किया और अब उनके पास बाज़ार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है – द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के इतिहास में सबसे अधिक हिस्सेदारी। यूरोपीय और कनाडाई सामानों की बिकवाली कर रहे हैं। लेकिन अमेरिकी शेयरों में भारी मात्रा में खरीदारी जारी रखे हुए हैं—खासकर तकनीकी दिग्गज की। एक तरह से, अमेरिका को AI का बड़ा दान माना गया है।
इसका यह मतलब है कि AI का यह बढ़त (Advantage) अब अमेरिका के लिए बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा, अन्यथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था और बाज़ार उस आधार को खो देगी, जिस पर वे अभी खड़े हैं।