आज से 3000 सालो से virus के जरिये फैलने वाली बीमारी का कहर पूरी दुनिया में था। जिन बीमारियों से मरने वालो की दर 30 %से भी ज्यादा थी और जो इस बीमारी से बचे वो हमेसा के लिए बदसूरती के उदहारण बन के रह जाते थे उनके चेहरे पर नीसाण बने रह जाते थे जो की किसी के भी चेहरे पर बेकार लगते थे। इस बीमारी से जापान में 1735 ईसा पूर्व में इस बीमारी के चलते एक तिहाई जनसँख्या ख़त्म हो गई थी 15वि शताब्दी के आस पास ुरोपियन देशो में 90 % आदिवासी मरे गए इस बीमारी से और १७ शताब्दी के आस पास रश में पैदा होने वाले सांतवा बच्चा इस बीमारी के जरिये मारा जा रहा था। इसके कारण कई सभ्यताए पूरी की पूरी ख़तम हो गई और 5 मिलियन लोग मरे गए 100 सालो में लगभग 500 मिलियन लोग मरे जा चुके है पर आज भी इस बीमारी का कोई दवा नहीं बन पाई है बस इसको रोका गया है मैंने बात कर रहा हूँ RED PLAGUE की बात कर रहा हूँ जिसको SPECKLED MONSTER भी कहा जाता है और आज हम इस बीमारी को SMALL POX के नाम से भी जानते है पर इसको भारत में माता लगना कहा जाता है।
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क्या है Red Plague
RED PLAGUE और SMALL POX एक virus से फैलने वाली बीमारी है जिसका नाम है VARIOLA VIRUS है ये virus ORTHOPOX GROUP से आता है इस ग्रुप के और भी उदाहरण हमारे सामने है आज भी जैसे की MONKY POX और COWPOX इस श्रेणी के इन virus को संक्रमित होने में बहुत ही आसानी से फैलते जाते है जैसे छींक से ,थूक से या किसी संक्रमित व्यक्ति के कपडे उपयोग करने से भी ये बहुत तेजी से फैलता है।
Red Plague (Small Pox )के लक्षण
शुरू में इस बीमारी का कोई ज्यादा परिवर्तन देखने को नहीं मिटा है पर जैसे जैसे ये बढ़ता तो तेज बुखार ,सिरदर्द ,पीठ में दर्द,फफोला पड़ना,थकान,उल्टी आदि की दिक्कते आने लगती है और इन सभी करने की बजह से लगभग 30 % लोग मरे जाते थे और ये बीमारिया ज्यादातर बच्चो में देखने को मिली है इन सभी में फफोले पड़ना सबसे ज्यादा घातक मन जाता है क्यूंकि इसकी पहचान इनसे ही की जाती है।
Red Plague का इतिहास
माना जाता है की इस बीमारी की उत्पत्ति पशुपालन के सुरुवात से हुई क्यूंकि इस बीमारी का virus पशुओ में पाया जाता था इसका पहला सबूत 1156 ईसवी में एक मिश्र की ममी में मिला था और इसका जिक्र सुश्रुत संहिता’ किया गया था जिससे पता चलता है की इस बीमारी की जड़ कितनी मजबूत थी और कितनी पुरानी बीमारी आज भी है मरे आस पास।
इसका कोई इलाज नहीं
है इस बीमारी का कोइनिलाज नहीं है आज भी क्यूंकि इसको बहुत ही नए तरीके से रोका गया था उस जामने के लिए जिस में इक व्यक्ति को इसी बीमारी के स्वंम संक्रमित होना पड़ता था िक्स एक करना था की देखा गया था की इस बीमारी से संक्रामिओती व्यक्ति को दोबारा इस बीमारी से कुछ नहीं होता था।यह जब व्यक्ति को स्वंम से संक्रमित होने पर उसकी मौत का दर होता था। खुद से संक्रमी होने वाली तकनीक को INOCULATION कह जाता था। पर इस तकनीक से लोगो की मौत का दर 1 से 2 प्रतिशत रहता था। और जो इसको करवाता था उसके शरीर पर डेग बने रह जाते थे जिससे लोगो की सुंदरता चली जाती थी और उनका चेहरा बहुत ही भयानक हो जाता था परन्तु इसी बीच एक इंग्लैंड का गाँव था जहा के लोगो को इस बीमारी से कोई फर्क नहीं पड़ता था और उनका कहना था की जो व्यक्ति उस गाँव में COWPOX से संक्रमित हो जाता है उसको ये RED PLAGUE (SMALL POX ) नहीं होता है।
खोज का पहला चरण
इस गाँव की बातो को सुन के एक डॉक्टर EDWARD JENNER ने इस गाँव का मुआयना किया और पता लगाया की ये लोग इस बीमारी से कैसे बच पते है और ये जो बोलते है उसमे कितनी सच्चाई है पर बात सही निकली की जिन लोगो को पहले COWPOX हो चुका होता है उनको ये RED PLAGUE (SMALL POX ) नहीं होता है। तभी EDWARD JENNER ने सारा नाम की लड़की के ऊपर पहला परीक्षण किया फिर एक माली के लड़के को इस प्रयोग का परिक्षण का श्रोत बना और उस लड़के को पहले EDWARD JENNER ने COWPOX के virus से संक्रमित किया और जा वो लड़का बच गया तब उनने उस बच्चे पर RED PLAGUE (SMALL POX ) का virus से संक्रमित करवाया और पता चला की ये बच्चा इस बीमारी से लड़ पा रहा था उसके पास इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता आ चुकी थी और ये पहला परिक्षण साफाल हुआ इस बीमारी को लेकर। और इस प्रकार EDWARD JENNER ने दुनिया की पहली VACCINE बनाई इसको ही पहली बार VACCIN शब्द का प्रयोग हुआ था जिसका मतलब था की COW मतलब VACSA जिससे इस सब्द की उत्पत्ति हुई पर आज इस शब्द को हर जगह उपयोग किया जाता है।
ये इलाज काम कैसे करता है ?
RED PLAGUE (SMALL POX ) और COWPOX दोनों ही ORTHOPOX virus हैं दोनों ही बहुत सामान्य कि ये इतने ज्यादा सामान हैं कि जब कोई COWPOX से पीड़ित होता हैतब उस बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता में इतनी क्षमता आ जाती है कि वह RED PLAGUE (SMALL POX ) को भी शरीर को हानि पहुंचाने से रोक सकती है इसी कारण COWPOX से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी SMALL POX से पीड़ित नहीं होना पड़ता था।
खोज का स्वागत नहीं मजाक बनाया
जब उन्होंने अपनी खोज को ROYAL SOCITY OF LONDON के सामने रखा तब उनकी खोज की निंदा की है और वह के प्रेसीडेन्ट JOSEPH BANKS ने उनसे कजह की वो अपनी खोज को भूल जाए पर वो नहीं माने उन्होंने अपनी खोज को और बढ़ाया और फिर उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम था। AN INQUIRY INTO THE CAUSES AND EFFECT OF THE VARIOLE VACCINE था। समय के साथ साथ दुनिया भी उनकी खोज को मानने लगेगा पर ये फिरफ सोचा था पर सच में ऐसा नहीं हुआ है धीरे धीरे व्यग्यनिक इस खोज को मैंने लगे पर जनता को इस पर अभी भी नहीं विस्वास नहीं हुआ था। लोगो का मानना था की ये उनके धर्मो के खिलाफ है कुछ लोगों को इससे गंदा महसूस करने लगे कि जानवरों के virus मनुष्य के शरीर में डाले जाएंगे यूरोप में लोगों को यह डर था कि इस वैक्सीनेशन के बाद मनुष्य गाय में परिवर्तित हो जाएगा इसका कई तरीकों से मजाक भी उड़ाया गया कि यह समाज में अलग हैं जो लोग INOCULATION का काम करते थे उन लोगों ने इस विरोध को बढ़ावा दिया क्योंकि उनके धंधों को बंद करा सकती थी समय की जरूरत के अनुसार कुछ देशों की सरकारों ने इस टीकाकरण को आवश्यक कर दिया कि सभी को यह करवाना पड़ेगा 1803 में इंग्लैंड निश्चय किया गया कम से कम बच्चों के लिए यहां टीकाकरण का होना आवश्यक है यही इस बीमारी की दवा का आरंभ था।
Vaccine का विस्तार
EDWARD JENNER के लिए सबसे बड़ी समस्या थी की इस दवा को दूसरे देशो में कैसे भेजे इसके कुछ तकनीकों के जरिये इसको संभव बनाया गया था जो निम्न है।
A. धागे के जरिये
साधारण तौर पर ही एक लंबे धागे को मवाद में दाल के गीला किया जाता था। और सूखने के बाद एक डिब्बे में पैक कर जहाजों से विदेशों में पहुंचाया जाता था और वहां पर स्वस्थ्य व्यक्ति को कहा जाता था कि एक छोटी खरोच मारकर इस धागे को घिसे जिससे वे स्वस्थ व्यक्ति COWPOX से संक्रमित हो जाए और कुछ समय पश्चात व्यक्ति के अंदर RED PLAGUE (SMALL POX )के लड़ने लायक प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो जाता था जिससे कभी भी उस व्यक्ति को RED PLAGUE (SMALL POX ) नहीं होगा, परंतु इस धागे वाली तकनीकी ज्यादा महत्वकांक्षी नहीं निकली क्यूंकि जब इसको ज्यादा दूरी के देशो में भेजा जाता था तो ये धागे ख़राब हो जाते थे तभी एक नै तकनीक बनाई गई।
B. तरल रूप में
इसमें का फ्लूएड का उपयोग कर बनाये गए फ्लुएड को टूयब में भरा जाता और इसको वैक्स से बंद कर दिया जाता और सारे यूरोपियन देशों में पहुंचाया जाता है
C. बच्चो द्वारा
यह तरीका थोड़ी अजीब था परंतु यह उस समय का सच भी था यहां पर COWPOX से संक्रमित बच्चो को जहाजों में बैठाकर उनको विदेशों में ले जाया जाता है ताकि ये उन देशो में भी जा कर के इस संक्रमण को फैला सके और जहाज में और भी लोग होते थे जिसमे की जहाज वाले डॉक्टर और बहुत से लोग ये लोग भी संक्रमण को फ़ैलाने में मदत करते थे और वह के लोगों को इससे से बचने का काम करते थे।
भारत में Vaccine का आगमन
भारत में पहली बार VACCINE 1802 में पहुंची,middle-east के जरिए परंतु भारत में गरीबी के कारण इस VACCINE को विस्तार नहीं मिला इसी कारण भारत में साल 1974 में RED PLAGUE (SMALL POX ) के कारण भारत में बहुत बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ गई पर इसका अर्थ यह नहीं था कि अपनी सरकारों ने कोई कदम नहीं उठाया था पहली हमारी सरकार ने नेशनल स्मॉल पॉक्स इरेडिकेशन प्रोग्राम साल 1962 में ले के आई जिसमें बहुत सारा पैसा लगाया VACCINE बनाने वालों और VACCINE लगाने वालों को प्रशिक्षण देने पर। साल 1966 तक 60 मिलियन लोगों को VACCINE लग चुकी थी परंतु यह काफी नहीं था जनता की जनसंख्या ज्यादा थी और साथ ही इस बीमारी का फैलाव बहुत तेजी से हो रहा था इसी कारण 1974 में भारत में सबसे ज्यादा बड़ी महा मारी के रूप में सामने आई और इसके कारण 5 महीनों में 15000 लोग मारे गए और इस समय दुनिया के 86% RED PLAGUE (SMALL POX ) के मामले सिर्फ भारत से ही आ रहे थे. परन्तु इसके पीछे बहुत से कारन थे।
- जनसँख्या बहुत ज्यादा थी।
- भारत के लोग का प्रवास बहुत ज्यादा हो रहा था।
- भारत में राजनैतिक और आर्थिक स्थिरता नहीं थी।
- लोगो को जागरूक करना कठिन था और टिकदारो ने इसका विरोध भी किया।
- धार्मिक विचारो के कारण भी इसका विरोध हुआ जैसे गाय के होने के कारण था भारत के लोगो को लगता था की ये बीमारी शीतला माता की बजह से हो रही है और इसका इलाज सिर्फ मंदिर में ही हो सकता है।
- 1970 ईसा में ये टीकाकरण के तरीके दर्दनाक हुआ करते थे ।
- ये दवा भारत में गर्मी के कारण जल्दी ख़राब हो जाती थी।
इसका हल भारत और w.h.o. ने मिलकर 1970 में एक प्रोग्राम चलाया 1970 में डब्ल्यूएचओ की 4 मेंबर्स को भारत भेजा गया और भारत में एग्रीमेंट की साथ भारत में पहली FREEZ -DRIED VACCIN बनाई गई जिस को संभालना आसान था ना यह खराब होती थी नई वैक्सीनेशन तकनीक को बनाया गया जो दर्दनाक नहीं होती थी देश में हर जगह टीकाकरण करवाया गया इंदिरा गांधी जी ने लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया और कहा लोगोंकी संक्रमित व्यक्ति का नाम बताने पर ₹100 का इनाम भी दिया जाएगा यह सभी प्रयास सफल हुए और1975 में भारत में आखिरी केस देखने को मिला भारत में था अफ्रीका जैसे देशों में यही प्रोग्राम द्वारा चलाए गए और 1977 में आखिरी NATURAL SMALLPOX से मरने की खबर थी जो कि सोमनिया देश की लड़की थी इसका नाम JANET PARKAR था यह केस 1978 में हुआ था 1989 में WHO ने बताया की ये virus अब खत्म हो गया है और हर साल इस VACCINE की खोज से 5 MILLION लोगों की जान बचाई जाती है।
FAQ
Small Pox का दूसरा नाम Red plague है।
मध्ययुगीन काल के दौरान Black Death के रूप में जाना जाता है।
प्लेग अब ज्यादातर मामलों में इलाज योग्य है ।
इसका एंटीबायोटिक दवाओं के साथ सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।