आज के समय में Tea और COFFEE ,लोगो के जीवन का अभिन्न हिस्स्सा बन चुके है लोगो का दिन इससे ही प्रारम्भ होता है और बहुत से लोगो का दिन इसी Tea और COFFEE के साथ ही खत्म होता है आइये हम जानते है की इस Tea और COFFEE का हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण हिस्सा बनने तक की कहानियां।
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TEA का इतिहास
Tea की खोज वैज्ञानिको के संस्थानों में नहीं हुई Tea की खोज के पीछे इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना को याद किया जाता है कहा जाता है की इसी घटना के बाद ही Tea लोगो के कहने का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती चली गई और ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई।
कहा जाता है ,की आज से पांच हजार सालो पहले चीन के एक शासक जिनका नाम सेनाग्र थाजो की खुद को स्वस्थ रखने के लिए सुबह सुबह अपनेर बगीचे में घूमने के लिए जाया करते थे ,और कभी कभी वही पर सुबह से राजनैतिक चर्चाओं की बहस भी कर लेते थे ,साथ ही वह घूमने के बाद गरम पानी पिया करते थे। ऐसे ही एक दिन वह बाग़ में घूमने गए तो वही पर राजनैतिक चर्चा होने लगी तभी उनके नौकर में गरम पानी दिया पर वो व्यस्ततया के कारन से उस पानी को नहीं पिया और बगल में रख लिया थोड़ी देर बाद उस पानी में कही से चार छह पत्ती कर गिर गई और पानी के गरम होने के कारण ही उस पानी में उन पत्तियों का रंग उस पानी में मिल गया और उस पानी का रंग भी बदल गया और उस पानी से खुसबू आने लगी।
दरवारियो ने राजा को रोका की इस पानी को न पिए क्यूंकि पत्तियां जहरीली हो सकती थी इसी कारण से दरबारी उनको रोक रहे थे.परन्तु उस राजा ने उन दरबारियों की बात नहीं मानी और पानी को पी लिया पीने के बाद राजा को लगा ही उसे पीने से शरीर में तंदुरस्ती आ रही है और उस पानी का स्वाद भी बहुत अच्छा लग रहा है, तभी से इस पौधे की पत्तियुं को डुंडा गया और राजा में हुक्म दिया की उसे इसी पत्तियों के उबले पानी को दिया जाये धीरे धीरे यह पेय दरबारियों फिर जनता और पुरे चीन में फ़ैल गया पर इस पेय का राज चीन से बहार नहीं जाने दिया।
विदेशो में TEAका विस्तार
Tea की खोज को सुरक्षित रखने वाला चीन कभी नहीं चाहेंगे ,की कोई उसकी खोज को उपयोग करे परन्तु Tea के पूरी तरह से प्राकृतिक होने के कारण से बौद्ध धर्म के भिक्क्षुओ इसका उपयोग किया क्यूंकि, उनको इसके सेवन के बाद पता चला ही वह इसे पीने के बाद शरीर में गर्मी बाद जाती है ,और लंम्बे समय तक नींद नहीं आती है, जिससे से वो ज्यादा देर तक ध्यान लगा पाते है, इसलिए वो भी इस पेय का इस्तेमाल करने लगे जब उनको इस Tea के पत्तियों के फायदे मालूम हुए तो वो इन्हे अपने साथ सहेज कर रखने लगे अब जहा पर दरवारियों ने इस राज को छुपा के रखा था वही ये बौद्ध विक्क्षुओ के जरिये जहाँ जहाँ वो जाते वही पर Tea को बना कर पीते और अपने आस पास के लोगो को भी पिलाते इसी प्रकार जापान भूटान नेपाल भारत जैसे देशो को इसी तरह से इस Tea के बारे में पता चला।
भारत में TEAका इतिहास
पर भारत में इससे जुड़ा हुआ एक और इतिहास प्रसिद्ध ही बौद्ध की शिक्षा से प्रभावित हो कर जैन धर्म के संस्थापक महावीर जी ने ध्यान लगाना प्रारम्भ किया था । इसी दौरान उनको इन Tea कि पत्तिओं के बारे में पता चला था,और उन्होने भारत के असम में Tea की पत्तियों को खोज निकला जहाँ से Tea उगाई जा सकती थी,और यही पर घानाऔर एकांत वन भी था ,जहाँ ऊपर उनको ध्यान लगाने की भी पर्याप्त जगह मिल गई यहाँ पर महावीर जी ने लगभग सात साल तक यहाँ रहे कहा जाता है, की वो खुद को जीवित रखने के किये Tea की पत्तियों को चबाया करते थे।
TEAका व्यापार
Tea की तकनीक भारत में आने के बाद रुक गई पर जापान से यह इंग्लैंड तक जा पहुंची जापान इंग्लैंड को Tea को बेचता था ,और पसे कमाया करता था, और जापान इस Tea की आपूर्ति को पूरा करने के लिए चीन से Tea को मंगवाता था, इसी कारण इंग्लैंड को Tea के लिए बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पद जाती थी साथ ही अंग्रेज हम भारतियों के खाने के वारे भी अध्ययन करने लगे थे तब उनको पता चला कीअसम के लोग एक काला रंग का पेय पीते है जो उन लोगो को ताजगी देता है उन अंग्रेजो ने जब रिसर्च में पता लगाया की ये जंगली Tea की पत्तियां है जो सिर्फ भारत में ही पाई है और पता लगाया की Tea के लिए असम सबसे अच्छी जगह है, जहा पर उच्च किस्म की Tea को उगाया जा सकता है ,यह खोज अंग्रेजो के लिए कोई खजाने की जैसे थी सबसे पहले भारत में Tea 1834 में मिली उस समय यहाँ के गवर्नर लॉर्ड बैटिन थे ।
उन्होने इस काली पेय के बारे में ब्रिटिश सरकार को बताया और फिर उनकी सर्कार की तरफ से एक टीम भेजी गई जहाँ आम नागरीको की मदद से उस टीम में Tea के पौधे की खोज की और एक साल मेहनत करने बाद उन्होने असम के अंदर पहला Tea का बागान लगाया। जब इस बारे में चीन को पता चला तो चीन ने अंग्रेजो के साथ व्यापारिक समझौता किया इस समझौते के तहत अंग्रेजो में भारत में कुछ नए बीज भी भारत में भेजवाए।
इन बीजो के परिक्षण के लिए कलकत्ता के परिक्षण केंद्र में बेजा गया कुछ महीनो के बाद पता चला की भारत की जमीन चीनी बीजो के लिए सबसे उत्तम किस्म की है। और उसका स्वाद और भी बेहतर हो गया धीरे धीरे ये व्यापार दार्जिलिंग तक पहुंच गया और दक्क्षिण भारत में भी इसको उगाया जाने लगा धीरे धीरे भारत ने Tea के व्यापार में अपना एक सर्वोच्च स्थान पा लिया।
ये व्यापार अंग्रेजो के लिए सबसे ज्यादा बड़ा फायदा साबित हुआ और 1947 में अंग्रेजो के जाने के बाद भारत सरकार ने इसके व्यापार को जारी रखा और और 1953 में पहली बार Tea संगठन की स्थापना की गई। इससे दुनियां में भारत का व्यापार और भी तेजी से बढ़ने लगा आज भारत दुनियां का सबसे ज्यादा Tea उगने वाला देश है।
COFFEE
आज के समय में सुबह से COFFEE मिल जाए तो दिन बन जाता है पर ये COFFEE अब विदेशो में ही नहीं हमारे देशो में भी सामान्य हो गई है सभी इसको पीना पसंद करते है COFFEE ही Tea का प्रतियोगी है बाजार में और लोगो की पसंद मप्रंतु कोई केआदति है और कोई Tea केपर हमारे जहाँ में हमेसा ये सवाल आता है की इस COFFEE की उत्पत्ति कहाँ से हुई और इसको कहा पर उगाया गया था पहली बार आइये जानते है।
COFFEE का इतिहास
COFFEE के इतिहास के लिए अपनी अपनी कथा बताते है एक कथा के अनुसार कहा जाता है की इथोपिया में एक गड़रिया अपनी बकरियों को चराने के लिए जंगल में गया और वहां पर उसकी कुछ बकरियां एक पेड़ की पत्तियां कहती हुई उस पेड़ के फलो को भी खा लिया उसके बाद उसकी बकरिया बहुत ही ज्यादा ऊर्जावान हो के चारो तरफ उछलने लगी गड़रिये को लगा की यह कोई नशीली जिज है, उसने कुछ फल तोड़े और सैम को उन फलो को अपने यहाँ के पादरी के पास ले गया और पूरी घटना उनको बताई उन पाधरी ने उस फल को परखा और उबला उबलने के बाद उस पानी से महक आने लगी, तब उनने उस पानी को पी कर देखा तो इससे उनको ताजगी महसूस हुआ और नींद भी भाग गई तब उन पधारी ने पुरे गांव को सलाह दी की ताजगी के लिए ये पेय पदार्थ बहुत ही सही है ,धीरे धीरे या अरब के देशो में भी पहुंच गया और फि अमेरिका और जापान और अब ये पुरू विश्व का सबसे ज्यादा पिए जाने वाले पदार्थो का एक हिस्सा है ।
भारत में कैसे आया COFFEE
भारत के एक व्यक्ति थे जिनका नाम बाबा बुद्धन था जो की हज की यात्रा के लिए गए थे उनके लौटते समय उनके अरब के रस्ते में उन ने देखा की लोग COFFEE नाम का पेय बड़े ही चाव से पी रहे है उनको लगा की इसे एक बार तो पीना चाहिए इस लिए उन्होंने उसे चखा और वो उनको पसंद आई उन्होंने सोचा की इसे हमारे देश में भी होना चाहिए तब उन्होंने उनके बीजो को लिया पोर अरब के देशो से COFFEE को बहार ले जाना कानूनी तौर से जुर्म था फिर भी वो इसे चोरी करतके ले आये और कर्णाटक के एक पहाड़ पर इनको उगाया जहाँ से COFFEE सरे भारत में फ़ैल गया।
क्या पीना चाहिए COFFEE या Tea
समय में COFFEE और Tea दोनों ही बहुत ज्यादा पिए जाने वाले पेय है ,जैसे लोगो के दिन की शुरुआत इसी से होती है ,इसमें मैं आपको बताउगा की क्या पीना चाहिए आयुर्वेदा और मोर्डर्न विज्ञान के अनुसार और दोनों के द्वारा बताए गए क्या खतरे हैऔर क्या फायदे और क्या पीना सही है।
मॉडर्न विज्ञान के अनुसार
हाँ मॉडर्न विज्ञानं के अनुसार Tea और COFFEE दोनों ही NON ALCHOHOLI ,FLAVOURED OR SAFE FOR DRINKING है और बताया है की Tea और COFFEE के क्या फायदे है कितनी बार Tea और COFFEE दिन में पीना चाहिए।
TEAके बारे में
जिस प्रकार की Tea हो OOLONG ,BLACK TEA ,GREEN TEA, YELLOW TEA ,WHITE TEA ,AND MORE इसके फायदे निम्न है-
a. RICH IN ANTIOXIDANTES
Antioxidents eliminate the free radical in the body boosting the immunityजिससे हार्ट अटक के कारणों में फायदा होता है और इसके जोखिम को भी काम करता है
b. REDUCE RISK OF TYPE 2 DIABETES &HEART ATTACK
tea allows the cells to synthesise the sugar better
c. TEA IS RICH IN EGCG
egcg is a ind of phenol that has the property to shrink tha fatg cells this why it helps in weight loss
coffee के बारे में
COFFEE चाहे जिस प्रकार की हो CLATTE,AMERICANO,ESPRESSO,CAPPUCCINO,FILTER,&MORE इन सभी में
1.HELPS REDUCE OF RISK OF PROTATE AND COLON CANCER
in 2016,an agency suspected carcinogens
2.TYPE 2 DIABETES
recentaly study by harvard schoole of public health
3ALZHEIMERS DISEASE
recent study by harvard schoole of public health
4.PARKINSONS DISEASE
recent study by harvard schoole of public health
TEA औरCOFFEE के नुकसान
हाँ Tea और COFFEE को ज्यादा पिने से भी बहुत सरे नुकसान हो सकते है इनके जितने फायदे है उतने नुकसान भी अगर इनका सीन हद से ज्यादा हो। ऐसा इसलिए की इन दोनों में ही tannin और caffein नाम के पदार्थ पाए जाते है किनको ज्यादा पीने से नुकसान होता है ,COFFEE में caffeine ज्यादा पाया जाता है और Tea में कम पर ,tannin Tea में ज्यादा पाया जाता है और COFFEE में इसके मुकाबले कम होता है।
tannin के नुकसान
tannin हमारे शरीर में iron की पाचन में रूकावट डालती है ,और इससे एनीमिया हो सकता है इससे दांत भी ख़राब हो सकते है। और
caffein के नुकसान
caffein हमारी हड्डियों को कमजोर बनाने का काम करता है, और एकदम से हार्टबीट और ब्लड प्रेसर बढ़ाता है जिससे किसी की मौत भी हो सकती है इसी लिए caffein को एक माइल्ड ड्रग कहा जाता है जो शरीर को एकदम से ऊर्जा देता है और और अचानक से ऊर्जा को कंकर देता है ,ये पदार्थ आदत भी लगा सकता हैजिससे लोग इसके बिना नहीं रह पाते है और इसकी आदत के शिकार हो जाते है वो इसके बिना नहीं रह सकते है। यही कारन है की लोगो को सुबह की Tea के बिना दिन की शुरुआत नहीं होती है।
regular और green coffee में अंतर
इन दोनों में हाडा अंतर नहीं बस green coffee को रोस्ट नहीं किया जाता है ,जिसके कारण उसमे chlorogrnic acid की मात्रा ज्यादा होती जो की सेहत के लिए बहुत ही सही मानी जाती है।
इसलिए हम कह सकते है की Tea और COFFEE के नुकसान है अगर उनका ज्यादा सेवन करा जा रहा है एक सामन्य व्यक्ति को दिन में चार कप से ज्यादा Tea नहीं पिन्ना चाहिए। अगर इससे ज्यादा होती है तो वो नुकसान दायक भी हो सकती है हमें Tea को खाने के आधे घंटे बाद पीना चाहिए अगर हम इसको खली पेट पी लेते है तो इसका सीधा हमारे शरीर में होता है, शाम के समय में Tea या COFFEE कभी ब्व्ही नहीं पीना चाहिए वार्ना इसके कारण से रत को नींद में दिक्कत आ सकती है ।
आयुर्वेद के अनुसार आयुर्वेदा का कहाँ है की कोई भी पदार्थ अगर आपके घर के 100 k.m. के बहार है, तो उसको नहीं कहा चाहिए या पीना चाहिए इसलिए भारत में इसे पीना नुकसान दायक है ,क्यूंकि आपने यहाँ पर Tea सिर्फ पहाड़ी इलाको में ही उगाई जाती है ये हमसे तो बहुत दूर है आयुर्वेद के अनुसार ये दोनों ही शरीर की गर्नी और सूखा बढ़ाने वाले पदरथ है, जो की हानिकारक है कहा गया है की Tea और COFFEE से पाचन में गड़बड़ और बालों का झड़ना और सफ़ेद होना इसके प्रभाव माने जाते है । आयुर्वेद के अनुसार इनको तभी पीना चाहिए जब कफ की समस्या के शिकार हो और जब शर्दी हो,तेलीय त्वचा हो ,या बुखार हो तभी इनको पीना चाहिए। .आयुर्वेद के अनुसार हमें Tea और COFFEE की जगह अर्जुन वही को पीना चाहिए ये अर्जुन पेड़ से बनती है जो की बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है और पूरी तरह से प्राकृतिक है।
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