गांधीसागर बांध मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में चंबल नदी पर स्थित है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण बांधों में से एक है और इसे चंबल घाटी परियोजना के तहत बनाया गया था। इस बांध का निर्माण 1954 में शुरू हुआ और 1960 में इसे पूरा किया गया। इसका नाम महात्मा गांधी के सम्मान में रखा गया है और यह सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और विद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही, यह बांध क्षेत्र के पर्यावरण और पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
गांधीसागर बांध चंबल नदी पर स्थित है, जो मध्य प्रदेश के मंदसौर और राजस्थान के कोटा जिलों के बीच बहती है। इसकी ऊंचाई 62.17 मीटर है और यह लगभग 6,930 मीटर लंबा है। इस बांध का जलाशय, जिसे गांधीसागर झील के नाम से भी जाना जाता है, 7,250 मिलियन क्यूबिक मीटर जल धारण कर सकता है और यह 723 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह जलाशय चंबल घाटी परियोजना का सबसे बड़ा जलाशय है और सिंचाई के साथ-साथ बिजली उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
गांधीसागर बांध का निर्माण चंबल घाटी परियोजना के प्रथम चरण के रूप में किया गया था। इस परियोजना की शुरुआत का उद्देश्य चंबल नदी की जल संसाधन क्षमता का सदुपयोग करना था। इस क्षेत्र में पहले भीषण बाढ़ और सूखे की समस्या रहती थी, जो कृषि और जनजीवन के लिए घातक सिद्ध होती थी। बांध के निर्माण से न केवल इन समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि इससे आसपास के क्षेत्रों में कृषि का विकास भी हुआ।
बांध का निर्माण भारत सरकार और राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों के संयुक्त सहयोग से किया गया। इसके डिजाइन और निर्माण में आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग किया गया। बांध की संरचना को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह बाढ़ को नियंत्रित करने के साथ-साथ विद्युत उत्पादन के लिए जल को नियंत्रित रूप से छोड़ सके।
गांधीसागर बांध का मुख्य उद्देश्य बहुउद्देशीय है, जिसमें सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण प्रमुख हैं।
- सिंचाई: इस बांध के माध्यम से राजस्थान और मध्य प्रदेश के विशाल क्षेत्रों में सिंचाई होती है। बांध से निकलने वाली नहरों के माध्यम से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। इससे खेती की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और इस क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि आई है।
- विद्युत उत्पादन: गांधीसागर बांध से विद्युत उत्पादन के लिए एक जलविद्युत परियोजना भी संचालित होती है। यहां से लगभग 115 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जो आसपास के क्षेत्रों को आपूर्ति की जाती है। यह बिजली उत्पादन क्षेत्रीय विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति करता है।
- बाढ़ नियंत्रण: बांध का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण है। चंबल नदी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए बांध की संरचना इस प्रकार की गई है कि अत्यधिक वर्षा के समय बाढ़ की स्थिति से निपटा जा सके। बांध के द्वारा पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है, जिससे नीचे के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा कम हो जाता है।
गांधीसागर बांध ने क्षेत्र के पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाला है। बांध के जलाशय ने एक नया पारिस्थितिक तंत्र तैयार किया है, जो पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल बन गया है। जलाशय के आसपास की हरियाली और जंगल बांध क्षेत्र को पर्यावरणीय दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के पक्षियों का प्राकृतिक आवास बन गया है, जिससे यहां पर्यावरण प्रेमी और पक्षी-प्रेमी बड़ी संख्या में आते हैं।
हालांकि, बांध के निर्माण से कुछ नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी हुए हैं। जलाशय बनने के कारण कुछ क्षेत्रों में स्थानीय वनस्पतियां और वन्यजीव प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, बांध के नीचे के क्षेत्रों में पानी के प्रवाह में कमी आने से वहां की पारिस्थितिकी पर भी असर पड़ा है। परंतु समय के साथ इन प्रभावों को संतुलित करने के प्रयास किए गए हैं।
गांधीसागर बांध और उसका जलाशय पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों, पक्षी-विज्ञानियों और साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटक नौकायन, कयाकिंग और फोटोग्राफी का आनंद लेते हैं। गांधीसागर जलाशय के आसपास का क्षेत्र शांतिपूर्ण और सुंदर है, जो इसे पिकनिक और छुट्टियों के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है।
गांधीसागर जलाशय के पास एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य भी है, जो विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का घर बनता है। यहां विभिन्न प्रकार के पक्षी, जैसे जलपक्षी, क्रेन, बगुला और फ्लेमिंगो देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है, जहां वे प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनंद ले सकते हैं।
गांधीसागर बांध एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसने मध्य प्रदेश और राजस्थान के विशाल क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के अलावा, इस बांध ने क्षेत्र के पर्यावरण और पर्यटन के विकास में भी योगदान दिया है। हालाँकि इसके निर्माण से कुछ चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, लेकिन इसका समग्र प्रभाव सकारात्मक रहा है।