5 सितम्बर को शिक्षक दिवस क्यों माना जाता है?
शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है क्यूंकि आज के दिन ही सन 1888 में चेन्नई के तिरुमनी गांव में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था, इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी व माता का नाम सीतम्मा था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के चार भाई थे, और एक बहन थी,उनके परिवार में अत्यन्त विद्वान ब्रामण के संतान थे,1930 में 16 वर्ष की आयु में ही उनका।विवाह दूर के रिश्तेदार की बेटी जो, कि उनकी बहन सिवाकामू के साथ हुआ था।उनकी पत्नी की आयु 10 वर्ष थी सेवकों ने यदि परंपरागत रूप से शिक्षा प्राप्त नहीं की थी।परंतु उन्हें तेलुगु भाषा का अच्छा ज्ञान था।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीने अपना बचपन तिरुमानी गांव में ही बताया और वहीं से अपनी प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ की है, आगे की शिक्षा हेतु उनके पिता जी ने क्रिश्चियन मिशनरी संस्थान लुथन मिशन स्कूल तिरुपति में दाखिला करवाया,जंहा पर वे1896 से 1900 तक रहे। 1900 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वेल्लूर में कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी।
1900 में राधाकृष्णन को वेल्लूर के कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक का पद दिया गया। सन 1916 में मद्रास के रेसिडेंस कॉलेज में ये दर्शन शास्त्र के सहायक प्रधानाध्यापक बने 1918 में मसूर यूनिवेर्सिटी के द्वारा उन्हे दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया तत्पश्चाय्त वे इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवेर्सिटी में भारतीय दर्शनशास्त्र के शिक्षक बने थे ,यही कारण रहा है, की वो इतने बड़े ज्ञानी विद्वान रहे शिक्षा के प्रति रुझान ने उन्हे एक मजबूत वक्तित्व दिया था ,इनके अंदर हमेसा कुछ नया सीखने इक जिज्ञासा रहती थी, जिस कॉलेज में इन्होने MA किया था,वही पर उनको उपकुलपति का दर्जा दे दिया गया। किन्तु ड़ॉ राधाकृष्णन जी ने एक वर्ष के अंदर ही इसे छोड़ के बनारस विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर विराजमान हुए, इसी दौरान वे दर्शनशास्त्र पर बहुत सी पुस्तके भी लिखा करते थे ,ड़ॉ राधाकृष्णन एक अच्छे लेखक के रूप में भी जाने जाते है, जिन्होने भारतीयपरंपरा ,धर्म और दर्शन पर कई साडी किताबे भी लिखी, जिनमे दी फिलॉसफी ऑफ़ दी उपनिषद ,ईस्ट एंड वेस्ट सम रिफ्लेक्शन ,भगवतगीता ,इस्ट्रम रिलिजन एंड वेस्टर्न थाट ,ऍम आइडियलिटी यू ऑफ़ लाइफ ,इंडियन फिलोसोफी ,हिन्दू विऊ ऑफ़ लाइफ ,इत्यादि प्रमुख रचनाए है।
13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे 13 मई 1962 को ही में भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन को सन 1954 में सर्वोच्च अलंकार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।1962 से राधाकृष्णन जी के सम्मान में उनके जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
17 अप्रैल 1975 को एक लंबी बीमारी के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन जी का निधन हो गया शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सर्वोपरि माना जाएगा इसलिए किया जाता हैइसलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना कर राधाकृष्णन जी की प्रति सम्मान किया जाता है इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनकी योगदान के लिए पुरस्कृत किया जाता है।
प्रत्येक विद्यार्थी को शिक्षकों गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि माता-पिता के बाद में शिक्षक ही सही गलत की पहचान कराने सिर्फ हमारे शिक्षक ही होते हैं और वही हमें और हमारी रुचियों को पहचानने का काम कर पाते है शिक्षक हमें नैतिक ,व्यवहारिक, शारीरिक, आध्यात्मिक एवं कलात्मक क्षेत्र में सुदृढ़ बनाने का काम करते है और इस संसार में जो भी मनुष्य से सम्मानित पद पर विराजमान हैं ,उनमें कहीं ना कहीं शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, अतः हमें हमेशा ऐसा कार्य करने पर जोर देना चाहिए, जिससे हमारे माता-पिता एवं शिक्षक सभी गौरवान्वित हों।